बकरा ईद क्यों मानते है बकरा ईद का क्या इतिहास है

बकरा ईद क्यों मानते है – जैसा की आप लोग की मालूम ही होगा कुछ दिन के भीतर बकरा ईद आने वाला है l बकरा ईद पर मुसलमानों जानवरों की कुर्बानी देते है l लेकिन जैसे ही बकरीद करीब आती है l कुछ नासमझ लोग इसको लेकर तरह – तरह के सवाल उठाना शुरू कर देता है l वह सभी लोग कहते है l मुसलमान बकरा ईद क्यों मनाते है l और बेजुबान जानवरों की कुर्बानी क्यों देते है l क्या आपने कभी सोचा इसके पीछे का बजह क्या है l तो आइये जानते है l मुसलमान बकरा ईद क्यों मानते है l और उस दिन जानवरों की कुर्बानी क्यों देते है l

बकरा ईद क्यों मानते है l

बकरा ईद क्यों मानते है
बकरा ईद क्यों मानते है l

बकरा ईद क्यों मानते है l – जैसा की आप लोग को मालूम होगा l की हर त्यौहार को मनाने के पीछे कोई न कोई बजह होती है l उसी तरह से बकरा ईद मानाने के पीछे भी कोई न कोई कहानी जरूर होगी l उसी तरह से बकरा ईद को मानाने और कुर्बानी देने के पीछे इस्लामिक वाकिया है l याद रखे अल्ला ताला अपने महबूब बन्दे से यानी की अपने नबी और पैगंबरों से बहुत मोहबत किया करते है l और वक्त वक्त पर उनका इतिहान लिया करते है l इसी तरह से एक बार हजरत इब्राहीम अलैहिस्सलाम का भी इतिहान लिया गया l

बकरा ईद क्यों मानते है बकरा ईद का क्या इतिहास है l

हजारों साल पहले की बात है l की एक रोज हजरत इब्राहीम अलैहिस्सलाम अपने घरों में आराम कर रहे थे l की उनकी आँख लग गई यानी तभी इब्राहीम आपने ख्वाब में देखा l की अल्लाह ताला ने उससे फरमाया है l ऐ इम्ब्राहीम आप अपने सबसे प्यारे और अजीज चीज को मेरी राह में कुर्बान कर दो जैसा की आप लोग याद रखे नबियों और पैगंबरों का ख्वाब कभी भी झूठा नहीं हो सकता l इसलिए हजरत इम्ब्राहीम ने यह ख्वाब सच जाना और अपनी अजीज चीज को अल्लाह की राह में कुर्बान करने के लिए तैयार हो गए l उस वक्त हजरत इम्ब्राहीम अलैहिस्सलाम के पास काफी तादाद में ऊँट हुआ करते थे l इसलिए सुबह होते ही उसने 100 ऊँट की कुर्बानी दे दी यानी 100 ऊँट अल्लाह के राह में कुर्बान हो गये मगर फिर जैसे ही उनकी दूसरी बार आँख लगी l फिर अल्लाह ताला से आवाज आई की इम्ब्राहीम आप अपने प्यारे चीज को अल्लाह के राह में कुर्बान करो फिर दूसरे दिन हजरत अलैहिस्सलाम ने 200 ऊँट की अल्लाह की रहा में कुर्बानी कर दी गई l मगर तीसरे रात जैसे ही नींद लगी फिर से वही आवाज आने लगी l इब्राहीम अपने प्यारे और अजीज चीज को मेरी राह में कुर्बान करो l

यह सुनकर हजरत सोचने लगे की मेरे पास सबसे प्यारी चीज क्या है l कही अल्लाह यह तो नहीं देखना चाहता है l की मैं सबसे ज्यादा प्यार अपने बेटे इस्माइल को करता हु l या फिर अपनी खाली की हकीकी से करता हु l आपको बता दे की हजरत इब्राहिम का सिर्फ एक ही बेटा था l वह भी काफी दुआ और मन्नत करने के बाद अल्लाह ने उनको बुढ़ापे की उम्र में अदा किया था l इसलिए हजरत इम्ब्राहीम और हजरत हाजरा अपने बेटों को बहुत प्यार करते थे l लेकिन जैसा ही उसने अल्लाह की यह हुकुम सुनी तो उसने यह इरादा कर लिया वह सबसे अजीज और प्यारे चीज यानी वह अपने बेटे को अल्लाह की रह में कुर्बान कर देंगे l फिर दूसरे दिन इब्राहिम ने अपने बीबी से कहा की इस्माइल को नया – नया कपड़े पहनाओ और खुशबू लगाओ ताकि बिलकुल दूल्हे की तरह दिखे l हम अपने एक दोस्त के घर पर दावत करने के लिए जा रहा है l यह सुनकर उनकी बीबी काफी खुश हुई l और इस्माइल को तैयार किया l और फिर दोनों और बेटे के साथ फिलिस्तीन से मक्का की तरह रवाना होने लगे l तभी उनके घर में एक शैतान दाखिल दिया l और वह उनकी बीबी से कहने लगा क्या तुम्हें पता है l तुम्हारे बेटे को कहा ले जाया जा रहा है l तुम्हारे बेटे को तुम्हारा सोहर किसी दोस्त के घर पर दावत के लिये नहीं ले जा रहा है l बल्कि तुम्हारे बेटे को इस्लाम को कुर्बानी देने के लिए ले जाया जा रहा है l यह सुनकर हजरते हाजरा ने कहा मैं अपने सोहर को अच्छी तरह से जानती हु l भला एक बाप अपने बेटे को क्यों मरेगा यह सुनकर शैतान ने कहा तुम्हारा सोहर एक ख्वाब देखा है l जिसमें तुम्हारा बेटे इस्माइल को कुर्बानी मांगी है l इसलिए इब्राहिम इसकी कुर्बानी के लिए ले जा रहा है l यह सुनकर उनकी बीबी कहने लगी हे शैतान तुम पर लानत है l अगर मेरा बेटा अल्लाह की राह में कुर्बानी होने वाला है l इससे बड़ी ख़ुशी की क्या बात है l

यह तो मेरा एक बेटा है l अगर मेरा पास हजारों इस्माइल होते तो मैं अल्लाह की राह में ख़ुशी – ख़ुशी कुर्बान कर देती l यह सुनकर शैतान इस्माइल के पास गया और कहने लगा क्या इस्माइल तुम्हें पता है l तुम्हारे बाबा तुम्हें कहा ले जा रहे है l वह तुम्हें किसी दावत पर नहीं ले जा रहे है l बल्कि तुम्हें अल्लाह की राह में कुर्बानी करने के लिए ले जा रहे है l तो यह सुनकर इस्माइल ने फ़रमाया की अगर अल्लाह की राह में कुर्बानी हो जाऊँ l तो मेरे से बड़ा खुश नसीब कौन होगा l यह सुनकर शैतान बहुत ही मायूस हुआ l और फिर शैतान हजरत इम्ब्राहीम के पास गया और कहने लगा तुम अपने प्यारे बेटे को कुर्बान करने के लिए क्यों ले जा रहे हो l तुम्हारी हर कुर्बानी अल्लाह की बारगाह में कबूल होगी या भी नहीं और दूसरी बात जब तुम अपने बेटे को कुर्बान कर दोगे तो फिर बुढ़ापे में तुम्हरी खिदमत तथा देखभाल कौन करेगा l यह सुनकर हजरत ने कुछ पत्थर उठाये और शैतान को लानती कह कर मारने लगे l यह देख कर शैतान वहाँ से भागने लगा तभी मक्का में हज के दौरान शैतान को पत्थर मारा जाना शुरू हुआ l इसी वजह से हज के दौरान शैतान को पत्थर मारा जाता है l फिर हजरत अपने बेटे को लेकर वहाँ से चल दिये l आगे बढ़ने लगे थोड़ी दूर जाने के बाद उसने अपने बेटे से फरमाया हे इस्माइल क्या आपको पता है हम आपको अल्लाह की राह में कुर्बान के लिए ले जा रहे है l यह बात सुनकर इस्माइल कहने लगा बाबा जान इससे बेहतर मेरे लिए क्या होगा l की मुझे अल्लाह की राह में एक नबी कुर्बान करने के लिए ले जा रहा है l लेकिन बाबा मेरी एक इल्तिजा है l जब आप मेरा गाला काटोगे l तो आप वो देख नहीं पावोगे l इसलिए पहले आप रस्सी से मेरे हाथ और पैर को अच्छी तरह से बांध लेना और मैं चाहता हु की आप भी अपनी आखो पर एक पट्टी बांध ले ताकि आपको मेरे गले पर छुरी चलाते वक्त तरस न आये l

फिर जैसा इस्माइल ने कहा ठीक वैसा ही उनके बाबा ने किया l और आसमान की तरफ देखा और कहने लगा हे अल्लाह अगर आप मुझे हजार इस्माइल भी देते तो मैं आपको ख़ुशी – ख़ुशी के साथ उन सबको आपकी राह में कुर्बान कर देता l यह कह कर छुरी अपने बेटे के गले पर चलाने लगे इतने में अल्लाह ताला ने फरमाया हे जिब्राइम जल्दी से जाओ l और जनत से एक जानवर को लेकर जमीन पर जाओ और इस्माइल को वहाँ से हटाकर उसकी जगह वह जानवर को रख दो इम्ब्राहीम इतिहान में कामयाब हो गया l जैसे ही हजरत ने गर्दन पर छुरी को फेरा तो खून बहने लगा मगर उसके बाद में हजरत ने जैसे ही अपने आँख खोली और पट्टी को हटाया इम्ब्राहीम ने देखा l की उनके पास में ही उनका बेटा इस्माइल सही सलामत खड़ा है l फिर जैसे ही उसने निचे की और देखा तो उसने देखा की उसी जगह पर एक डुबा जिसको हम भेड़ कहते है l वह कुर्बान हो चूका है l यह देखकर अल्लाह का शुक्र अदा किया l इतने में आवाज आई ये इम्ब्राहीम तुम्हारा यह इतिहान कयामत तक याद रखा जायेगा l और तुम्हारी सुनत वाले लोग हर साल तुम्हारी ईमान को यद् रखेंगे l और हर साल अल्लाह की रह में कुर्बानी पेश करेंगे l

तभी से बकरा ईद के मौके पर कुर्बानी का यह सिलसिला शुरू हो गया l और ईद के 2 महीने 10 दिन के बाद बकरा ईद मनाया जाता है l जो हमारे देश भारत पाकिस्तान और बांग्लादेश जैसे कई तमाम देशों इस त्योहार धूम – धाम से मानते है l यह यह त्यौहार 3 दिनों तक चलता है l लेकिन गल्फ देशों में यह त्यौहार 7 दिनों तक मनाया जाता है l

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